विजय माल्या पर फ़ैसला आज, क्या है संभावना


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शराब कारोबारी विजय माल्या को ब्रिटेन से भारत प्रत्यर्पित किए जाने पर सोमवार को फ़ैसला आ सकता है.

लंदन के वेस्टमिंस्टर मैजिस्ट्रेट कोर्ट को सोमवार को इस पर फ़ैसला करना है.
62 वर्षीय विजय माल्या वित्तीय धोखाधड़ी के क़रीब नौ हज़ार करोड़ रुपए के मामले में भारत में वांछित हैं.
अप्रैल में प्रत्यर्पण वॉरंट के आधार पर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया था, लेकिन उसी दिन से ज़मानत पर बाहर हैं. उन्होंने प्रत्यर्पण को यह कहते हुए कोर्ट में चुनौती दी है कि उन पर लगे आरोप राजनीति से प्रेरित हैं.
हाल ही में इस पर सफ़ाई देते हुए उन्होंने ट्वीट किया था, "मैंने एक रुपये का क़र्ज़ भी नहीं लिया. क़र्ज़ किंगफ़िशर एयरलाइंस ने लिया था. पैसे का नुक़सान एक वास्तविक और दुखद व्यापारिक नाकामी की वजह से हुआ. गारंटर होना फ़र्ज़ीवाड़ा नहीं है."
उन्होंने ट्वीट किया था, "मैंने मूलधन का 100 फ़ीसदी लौटाने का प्रस्ताव दिया है. कृपया उसे ले लें."

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साल भर से लंदन में चल रही सुनवाई

विजय माल्या मामले में पिछले साल चार दिसंबर से लंदन के मैजिस्ट्रेट कोर्ट में सुनवाई हो रही है. क्लेयर मॉन्टगॉमरी की अगुवाई में माल्या के वक़ीलों ने यह दलील दी कि किंगफ़िशर एयरलाइंस का बैंक लोन डिफॉल्ट एक व्यापारिक नाकामी का नतीजा था न कि इसके मालिक की 'बेईमानी और फ़र्ज़ीवाड़े' की गतिविधि का.
अदालत को यह भी बताया गया कि माल्या ने 2016 में 80 फ़ीसदी मूलधन लौटाने का प्रस्ताव दिया था लेकिन स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (एसबीआई) की अगुवाई वाले भारतीय बैंकों के एक संघ ने इसे स्वीकार नहीं किया.

अभियोजन पक्ष का कहना था कि माल्या की नीयत लोन चुकाने की थी ही नहीं क्योंकि उनकी एयरलाइंस का डूबना तय था.
सुनवाई के दौरान जज आर्बथनॉटहड ने कहा था, "साफ़ संकेत हैं कि लोन देने के लिए बैंकों ने अपने ही दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है."

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जेल के हालात को बनाया मुद्दा

अगर माल्या को भारत लाया जाता है तो उन्हें मुंबई की आर्थर रोड जेल की बैरक नंबर 12 में रखा जाएगा. सुनवाई के दौरान इस जेल को भी बचाव पक्ष ने मुद्दा बनाया.
बचाव पक्ष ने जेल की हालत बुरी होने का दावा करते हुए मानवाधिकारों के आधार पर मामले पर विचार करने की अपील की थी. जज ने इस संबंध में मुंबई की आर्थर रोड स्थित जेल का वीडियो मंगाया था और उसके बाद इस संबंध में और जानकारी की ज़रूरत होने से इनकार कर दिया था.
12 सितंबर को विजय माल्या ने एक और दावा करके भारत में खलबली मचा दी. उन्होंने पत्रकारों से कहा कि 2016 में भारत छोड़ने से पहले उनकी वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाक़ात हुई थी. हालांकि वित्त मंत्री ने इस दावे को ख़ारिज कर दिया था.

समाचार एजेंसी पीटीआई ने ब्रिटेन में रह रही क़ानून विशेषज्ञ पावनी रेड्डी के हवाले से कहा है कि अगर जज सारी प्रक्रियागत ज़रूरतों से संतुष्ट होते हैं और पाते हैं कि प्रत्यर्पण में कोई वैधानिक रुकावट नहीं है तो वह मामले को विदेश मंत्री के पास भेज देंगे, जिनके पास प्रत्यर्पण पर फ़ैसला लेने का हक़ है.
मैजिस्ट्रेट कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ हाई कोर्ट में अपील करने के लिए विजय माल्या के पास 14 दिनों का समय होगा.
अगर संबंधित व्यक्ति अपील नहीं करता और विदेश मंत्री अदालत के फैसले से सहमत होते हैं तो वह व्यक्ति 28 दिनों के भीतर प्रत्यर्पित कर दिया जाएगा.

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माल्या का पासपोर्ट हो चुका है रद्द

अपने अच्छे दिनों में विजय माल्या को भारत को रिचर्ड ब्रैन्सन क़रार दिया गया था. वो अपनी शानो-शौकत, चकाचौंध से भरी ज़िंदगी, तेज़ रफ़्तार कारों और अपने किंगफ़िशर हवाई जहाज़ों के लिए मशहूर थे.

माल्या की किंगफ़िशर विमान सेवा तब ज़मीन पर आ गई थी जब और उड़ानों के लिए बैंकों ने उन्हें कर्ज़ देने से इनक़ार कर दिया था.
भारत सरकार का कहना है कि माल्या भारतीय बैंकों के 60 करोड़ पाउंड के कर्ज़दार हैं. माल्या ख़ुद को बेकसूर बताते हैं.
माल्या साल 2016 में ब्रिटेन आ गए थे और तभी से लंदन में रह रहे हैं. भारत सरकार ने उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया है और ब्रिटेन से उनके प्रत्यर्पण की कोशिश में लगी हुई है.
इससे पहले विजय माल्या को ब्रिटेन से भारत लाने में भारत को उस वक़्त बड़ी कामयाबी हाथ लगी जब उन्हें लंदन में गिरफ़्तार कर लिया गया लेकिन आठ लाख डॉलर (क़रीब 5 करोड़ रुपये) के बॉन्ड पर उन्हें ज़मानत दे दी गई. उन्हें स्कॉटलैंड यार्ड ने गिरफ़्तार किया था.
विजय माल्या के ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती वॉरंट्स जारी हो चुके हैं और विदेश मंत्रालय उनका पासपोर्ट रद्द कर चुका है.
भारत और ब्रिटेन ने 1992 में प्रत्यर्पण संधि पर दस्तखत किए थे लेकिन इसके बाद से केवल एक ही व्यक्ति का प्रत्यर्पण किया जा सका है. इसके अलावा कुछ मामले अलग-अलग वजहों से सफलता नहीं मिल पाई.

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