Duniya ke 3 insan ke sath hua kuch aisa jisaka javab Science ke pas hai hi nahi.........


इंसान का जन्म इंसानी शक्तियों के साथ होता है जैसे कि एक इंसान किसी भी जीव से ज्यादा कलर देख सकता है उसकी समझ, उसकी बुद्धि, उसकी सोच पृथ्वी पर मौजूद किसी भी प्राणी और पक्षी से अनेकों गुना ज्यादा है। इंसान का दिमाग उसको पृथ्वी पर सबसे विकसित जीव बनाता है लेकिन क्या वाकई में हमारे पास इतनी ही शक्तियां है जितनी हम रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग करते हैं या फिर उनसे कई गुना ज्यादा शक्तियां हम में मौजूद है। वैज्ञानिक कहते हैं कि हम जीवन पर्यंत ज्यादा से ज्यादा हमारे दिमाग का 20 से 21 परसेंट उपयोग कर पाते है। बाकी का लगभग 70 फ़ीसदी हमारे दिमाग का हम उपयोग नहीं करते। लेकिन कुछ लोग दुनिया में हुए हैं जिनका किसी कारण से दिमाग का ओ हिस्सा एक्टिवेट हो गया जिसका आम इंसान उपयोग ही नहीं करते हैं। आइए आपको आज के पोस्ट में 3 ऐसे लोगों के बारे में बतलाते हैं जिनके दिमाग की और उनके शरीर की क्षमताएं हमारी सोच से भी परे थी 3 Extraordinary People on Earth और उनके जीवन में घटी घटनाएं किसी चमत्कार से कम नहीं था।चलिए जानते हैं उन 3 लोगो के बारे में…

1877 में अमेरिका में जन्मे ऐडकर गाइस के जीवन में एक अनोखी घटना घटी जब वे 25 साल के थे तब गिर जाने से वह कोमा में चले गए थे उनको हॉस्पिटल ले जाया गया डॉक्टरों ने अथक प्रयत्न किए लेकिन उन्हें होश में नहीं ला सके। अचानक एक चमत्कार हुआ और कुछ दिन बाद Adgar बोल पड़े सभी लोग आश्चर्यचकित थे क्योंकि जब Adgar बोल रहे थे तो वह होश में नहीं थे वह अभी भी मूर्छित थे अर्थात कोमा में थे। उनके शरीर पर अगर घाव भी किए जाए तो भी उन्हें पता न चले लेकिन बस किसी चमत्कार स्वरुप वह बोल पड़े। उन्होंने कहा कि मैं पेड़ से गिर गया था और मेरी रीड की हड्डी पर तथा मस्तिष्क में कई जगह चोट लगी है, जिसके कारण मेरे ज्ञानतंतु नष्ट हो रहे हैं। अगर अगले 2 दिन में मेरा इलाज नहीं हुआ तो मैं मर जाऊंगा।
वहां पर Adgar के सभी जान पहचान वाले डॉक्टर और आसपास के हॉस्पिटल के लोग भी इकट्ठा हो गए सबके लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। Adgar को पूछने पर उन्होंने कुछ जड़ी-बूटियां बताएं और उन्होंने बताया कि आप इन जड़ी बूटियों को अगर ले आओगे और समय रहते मेरे खून में पहुंचा दोगे, तो मैं ठीक हो जाऊंगा। इतना कहकर वह फिर मूर्छित हो गए, खैर मूर्छित तो थे ही लेकिन प्रतिउत्तर देना बंद कर दिया।
अब आश्चर्यचकित कर देने वाली बात यह थी की Adgar कोई चिकित्सक नहीं थे और ना ही चिकित्सा विषय और उसकी पद्धति से उनका दूर दूर तक कोई वास्ता था। एलोपैथी, आयुर्वेदिक दवाइयां और जड़ी बूटियों के बारे में तो कुछ भी नहीं जानते थे। और जिस हॉस्पिटल में वह थे उनके डॉक्टर को भी नहीं मालूम था कि उन्होंने जो लिस्ट दिया है उस जड़ी बूटियों से ठीक हो जाएगी या नहीं। लेकिन जब कोई रास्ता ना हो तो इंसान हर मुमकिन कोशिश कर लेता है। वह जड़ी बूटियों की खोज की गई। ब्राजील के Amazon जंगल में जो पौधे मिले जिनमें वो संजीवनी शामिल थी, जो Adgar ने बताया था। उस जड़ी बूटियों के रस को वैक्सीन के जरिए Adgar के खून में पहुंचा दिया गया और वह कुछ घंटे में ठीक हो गए। और मजे की बात सुनिए दोस्तों जब Adgar होश में आए और उन्हें पूछा गया तो उनको यह मालूम ही नहीं था की बेहोशी में वह कुछ बोले भी थे, और उन्होंन किसी जड़ी बूटियों का जिक्र किया था। 3 Extraordinary People on Earthऔर आगे सुनिए इस घटना के बाद Adgar के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आया ओ आँखें बंद करके जब भी किसी रोग के इलाज के बारे में सोचते थे, तब उनको पता नहीं कैसे कुछ नाम मिल जाते थे। और आप मानोगे नहीं उनके पूरे जीवन काल में उन्होंने लगभग 30 हजार लोगों को मौत के मुंह से बचाया था। Adgar का जीवन आज तक के मेडिकल साइंस में दर्ज किया गया सबसे बड़ा चमत्कार है। आप उनके बारे में Google में और सर्च कर सकते हैं, और उनके जीवन के बारे में पढ़ सकते हैं।

दक्षिण भारत के कुंभकोणम नाम के छोटे से गांव में 1887 में जन्मे रामानुजन एक अकल्पनीय गणित विद्वान थे। रामानुजन एक बहुत गरीब परिवार में जन्म लिए थे और वाह ज्यादा पढ़े लिखे भी नहीं थे। वह खुद मैट्रिक में फेल हुए थे लेकिन गणित के विषय में उनकी इतनी कुशलता थी कि आज तक दुनिया में उन से बड़ा कोई गणित विद्वान पैदा नहीं हुआ। दोस्तों गणित के कई धुरंधर हुए दुनिया में, लेकिन वह सब प्रशिक्षित थे। लेकिन रामानुजन के विषय में बात अलग थी। रामानुजन कोई बड़े शिक्षित तो थे नहीं लेकिन गणित के बड़े से बड़े क्वेश्चन (प्रश्न ) जो दुनिया में सबसे जटिल माने जाते हैं उसे रामानुजन बस कुछ सेकंड में सॉल्व कर देते थे। 3 Extraordinary People on Earthगणित एक ऐसा सब्जेक्ट है जिसका कोई भी इंसान को सलूशन के लिए थोड़ा वक्त चाहिए होता है। क्योंकि बुद्धि कोई भी ऐसा काम नहीं कर सकती जिसमें वक्त ना लगे। बुद्धि सोचेगी, समझेगी और उसका जवाब ढूंढेगी। लेकिन रामानुजन जटिल से जटिल प्रश्न पूछने पर उनका उसी क्षण जवाब दे देते थे। आप प्रश्न खत्म भी नहीं करोगे और उनका जवाब मौजूद होता था।
कहते हैं जिन प्रश्नों के जवाब देने में दुनिया के सबसे बड़े गणितज्ञ को कम से कम 11 से 12 घंटे चाहिए होते थे, और वापस वह सवाल सही है या नहीं उसके रिचेकिंग में 2 घंटे चाहिए होते थे, उस सवाल का जवाब रामानुजन एक सैकेंड में देते थे। जब रामानुजन की ख्याति भारत में बढ़ने लगी, तब उस वक़्त के सबसे बड़े मैथेमैटिशन जो कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में एक प्रोफेसर थे, रामानुजन को लंदन बुला लिया। प्रोफेसर का नाम था हार्डी(Hardi).
उन दिनों Hardi दुनिया के सबसे बड़े गणितज्ञों में से एक थे। लेकिन जब वह रामानुजन से मिले तो वह अपने आप को रामानुजन के सामने एक बच्चे सा महसूस करने लगे। दुनिया के कई वैज्ञानिकों ने रामानुजन के दिमाग पर संशोधन किए। लेकिन पता सिर्फ इतना लगा कि रामानुजन कोई भी जवाब बुद्धि से नहीं देते थे। क्योंकि वह सोचने का वक्त ही नहीं लेते थे। बाकी सारी चीजों में समान लगने वाले रामानुजन सिर्फ गणित के बात पर अद्वितीय थे। वैज्ञानिक कहते हैं कि इसके पीछे उनकी आजागृत मन की शक्तियों का ही कमाल है, जो शक्तियां रामानुजन के केस में गणित के विषय में एक्टिव थी। बाद में हार्डी और रामानुजन एक अच्छे दोस्त बने लेकिन रामानुजन बहुत ही छोटी उम्र सिर्फ 32 साल की उम्र में क्षय रोग के कारण इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
दोस्तों जब रामानुजन बीमार थे, तब उन्होंने अपने मित्र हार्डी को गणित के 4 भविष्यवाणी(Prediction) बताए थे, जिनमें से हार्डी के जीते जी तीन सच साबित हुए थे। जब हार्डी का अंतिम समय था और वह मरने वाले थे तो उन्होंने एक बिल बनाई, और उसमें लिखा की रामानुजन ने बताए चार में से तीन भविष्यवाणी(Prediction) सच साबित हुए हैं। और रामानुजन ने कहा है तो बेशक चौथा भी सही ही होगा। इसलिए चौथे Prediction की खोज मेरे मरने के बाद भी जारी रखी जाए। और जब हार्डी मरे तब उसके 22 साल बाद रामानुजन के बताएं चौथा Prediction भी सही साबित हुआ। तो यह थे भारतीय रामानुजन जिनको मैथेमैटिशन की दुनिया में आज भी भगवान माना जाता है।

गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद से लगभग 150 किलोमीटर दूर अंबाजी नाम का शहर है। अंबाजी 1 शक्तिपीठ है। इस टाउन के पास एक गब्बर है, जहां मां अंबा विराजित है। उस गब्बर के पीछे एक आश्रम में प्रहलाद जानी रहते है। प्रल्हाद जानी का जन्म 13 अगस्त 1929 मे गुजरात के एक छोटे से गांव Chrda में हुआ था। इनका सबसे बड़ा रहस्य यह है की इन्होंने 1940 से लेकर अब तक ना अन्न का एक दाना मुंह में रखा है ना पानी का बूंद। महज 11 साल की उम्र में उन्होंने अन्न जल का त्याग कर दिया था और आज 78 साल होने को है फिर भी वह बिना कुछ खाए पिए जीवित है। मेडिकल साइंस के अनुसार अगर कुछ ही दिन हम बगैर पानी के रहे तो हमारी मृत्यु हो जाएगी। और अन्न जल के बिना इतने सालों तक जीवित रहना एक चमत्कार से कम नहीं है। 3 Extraordinary People on Earth
प्रह्लाद जानी की यह घटना Discovery चैनल, नेशनल जियोग्राफी, और इंडिया के सभी न्यूज़ चैनल पर आ चुकी है।
स्टर्लिंग हॉस्पिटल में प्रहलाद जानी को 1 महीने से ज्यादा रखा गया था, और उन पर रिसर्च किया गया था। जहां पर उनको रखा गया था वहां पर सभी जगह पर कैमरे लगे हुए थे। लेकिन डॉक्टरों के इतने लंबे ऑब्जरवेशन के दौरान ना उन्होंने कुछ खाया और न ही उन्होंने कुछ पिया। उनसे मिलने वाले लोग कहते हैं की प्रहलाद जानी से मिलने के बाद उनको एक अलग ही एनर्जी का एहसास होता है। प्रह्लाद जानी का कहना है कि यह योग शक्ति के मदद से संभव है। अगर हम योग शक्ति के माध्यम से अपने पाचनिये क्रियाओं पर जीत हासिल कर लेते हैं तो किसी भी इंसान के लिए यह कर पाना मुश्किल नहीं है। और यह भी ह्यूमन ब्रेन और बॉडी की अपार शक्तियों का ही चमत्कार है।
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